उत्तराखंड में कुछ बहुत ही प्रसिद्ध देवता हैं जिनमे से एक देवता हैं नारसिंह, नृसिंह, नरसिंग इत्यादि।
नृसिंह उत्तराखंड में विष्णु के अवतार के रूप में नहीं पूजे जाते वरन इनका सम्बन्ध नाथ सम्प्रदाय से माना जाता है और गुरु गोरखनाथ के शिष्य माने जाते हैं। ऐसा मान जाता है कि ये आज भी जीवित ऊर्जा के रूप में विध्यमान हैं और अपनी ध्याण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। न्याय का देवता भी कहा जाता है नृसिंह को।
आखिर क्या सत्य है पर्वतीय वीर देवताओं का, उस ओर एक प्रयास है जानने का। विष्णु अवतार नृसिंह से क्या कोई सम्बन्ध है या कत्यूर शासक नर्सिंग देव से कोई सम्बन्ध है? कितने हैं ये वीर संख्या में? 9 या 52? या और भी ज्यादा?
आम तौर पर नरसिंग भगवान को विष्णु अवतार माना जाता है किन्तु कुमाऊं व गढ़वाल में नर्सिंग भगवान गुरु गोरखनाथ के चेले के रूप में ही पूजे जाते हैं . नर्सिंगावली मन्त्रों के रूप में भी प्रयोग होता है और घड़ेलों में जागर के रूप में भी प्रयोग होता है. एक नरसिंग घडला में लालमणि उनियाल, खंडूरीयों का जिक्र भी सुना था
नरसिंग नौ हैं :
1)इंगला वीर,
2)पिंगला बीर ,
3)जतीबीर,
4)थतीबीर,
5)घोर-अघोरबीर,
6)चंड बीर ,
7)प्रचंड बीर ,
8)दुधिया,
9)डौंडिया नरसिंग
आमतौर पर दुधिया नरसिंग व डौंडिया नरसिंग के जागर लगते हैं . दुधिया नरसिंग शांत नरसिंघ माने जाते है जिनकी पूजा रोट काटने से पूरी हो जाती है जब कि डौंडिया नरसिंग घोर बीर माने जाते हैं व इनकी पूजा में भेड़ बकरी का बलिदान की प्रथा है।
.......... जागर ...............
जै नौ नरसिंग बीर छयासी भैरव
हरकी पैड़ी तू जाग
केदारी तू गुन्फो मा जाग
डौंडी तू गढ़ मा जाग
खैरा तू गढ़ मा जाग
निसासु भावरू जाग
सागरु का तू बीच जाग
खरवा का तू तेरी झोली जाग
नौलडिया तेरी चाबुक जाग
टेमुरु कु तेरो सोंटा जाग
बाग्म्बरी का तेरा आसण जाग
माता का तेरी पाथी जाग
संखना की तेरी ध्वनि जाग
गुरु गोरखनाथ का चेला पिता भस्मासुर माता महाकाली का जाया
एक त फूल पड़ी केदारी गुम्फा मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर केदारी नरसिंग
एक त फूल पड़ी खैरा गढ़ मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर डौंडि
एक त फूल पोड़ी वीर तों सागरु मा
तख त पैदा ह्वेगी सागरया नरसिंग
एक त फूल पड़ी बीर तों भाबरू मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर भाबर्या नारसिंग
एक त फूल पड़ी बीर गायों का गोठ , भैस्यों क खरक
तख त पैदा ह्वेगी दुधिया नरसिंग
एक त फूल पड़ी वीर शिब्जी क जटा मा
तख त पैदा ह्वेगी जटाधारी नरसिंग
हे बीर आदेसु आदेसु बीर तेरी नौल्ड्या चाबुक
बीर आदेसु आदेसु बीर तेरो तेमरू का सोंटा
बीर आदेसु आदेसु बीर तेरा खरवा की झोली
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरु नेपाली चिमटा
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरु बांगम्बरी आसण
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरी भांगला की कटोरी
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरी संखन की छूक
वीर रुंड मुंड जोग्यों की बीर रुंड मुंड सभा
वीर रुंड मुंड जोग्यों बीर अखाड़ो लगेली
वीर रुंड मुंड जोग्युंक धुनी रमैला
कन चलैन बीर हरिद्वार नहेण
कना जान्दन वीर तैं कुम्भ नहेण
नौ सोंऊ जोग्यों चल्या सोल सोंऊ बैरागी
वीर एक एक जोगी की नौ नौ जोगणि
नौ सोंऊ जोगयाऊं बोडा पैलि कुम्भ हमन नयेण
कनि पड़ी जोग्यों मा बनसेढु की मार
बनसेढु की मार ह्वेगी हर की पैड़ी माग
बीर आदेसु आदेसु बीर आदेसु बीर आदेसु
-श्री मुकेश कुकरेती द्वारा वाट्सैप समूह 'कुकरेती भ्रातृ मण्डल' में प्रेषित, दिनांक 14.09.2017
नृसिंह उत्तराखंड में विष्णु के अवतार के रूप में नहीं पूजे जाते वरन इनका सम्बन्ध नाथ सम्प्रदाय से माना जाता है और गुरु गोरखनाथ के शिष्य माने जाते हैं। ऐसा मान जाता है कि ये आज भी जीवित ऊर्जा के रूप में विध्यमान हैं और अपनी ध्याण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। न्याय का देवता भी कहा जाता है नृसिंह को।
आखिर क्या सत्य है पर्वतीय वीर देवताओं का, उस ओर एक प्रयास है जानने का। विष्णु अवतार नृसिंह से क्या कोई सम्बन्ध है या कत्यूर शासक नर्सिंग देव से कोई सम्बन्ध है? कितने हैं ये वीर संख्या में? 9 या 52? या और भी ज्यादा?
आम तौर पर नरसिंग भगवान को विष्णु अवतार माना जाता है किन्तु कुमाऊं व गढ़वाल में नर्सिंग भगवान गुरु गोरखनाथ के चेले के रूप में ही पूजे जाते हैं . नर्सिंगावली मन्त्रों के रूप में भी प्रयोग होता है और घड़ेलों में जागर के रूप में भी प्रयोग होता है. एक नरसिंग घडला में लालमणि उनियाल, खंडूरीयों का जिक्र भी सुना था
नरसिंग नौ हैं :
1)इंगला वीर,
2)पिंगला बीर ,
3)जतीबीर,
4)थतीबीर,
5)घोर-अघोरबीर,
6)चंड बीर ,
7)प्रचंड बीर ,
8)दुधिया,
9)डौंडिया नरसिंग
आमतौर पर दुधिया नरसिंग व डौंडिया नरसिंग के जागर लगते हैं . दुधिया नरसिंग शांत नरसिंघ माने जाते है जिनकी पूजा रोट काटने से पूरी हो जाती है जब कि डौंडिया नरसिंग घोर बीर माने जाते हैं व इनकी पूजा में भेड़ बकरी का बलिदान की प्रथा है।
.......... जागर ...............
जै नौ नरसिंग बीर छयासी भैरव
हरकी पैड़ी तू जाग
केदारी तू गुन्फो मा जाग
डौंडी तू गढ़ मा जाग
खैरा तू गढ़ मा जाग
निसासु भावरू जाग
सागरु का तू बीच जाग
खरवा का तू तेरी झोली जाग
नौलडिया तेरी चाबुक जाग
टेमुरु कु तेरो सोंटा जाग
बाग्म्बरी का तेरा आसण जाग
माता का तेरी पाथी जाग
संखना की तेरी ध्वनि जाग
गुरु गोरखनाथ का चेला पिता भस्मासुर माता महाकाली का जाया
एक त फूल पड़ी केदारी गुम्फा मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर केदारी नरसिंग
एक त फूल पड़ी खैरा गढ़ मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर डौंडि
एक त फूल पोड़ी वीर तों सागरु मा
तख त पैदा ह्वेगी सागरया नरसिंग
एक त फूल पड़ी बीर तों भाबरू मा
तख त पैदा ह्वेगी बीर भाबर्या नारसिंग
एक त फूल पड़ी बीर गायों का गोठ , भैस्यों क खरक
तख त पैदा ह्वेगी दुधिया नरसिंग
एक त फूल पड़ी वीर शिब्जी क जटा मा
तख त पैदा ह्वेगी जटाधारी नरसिंग
हे बीर आदेसु आदेसु बीर तेरी नौल्ड्या चाबुक
बीर आदेसु आदेसु बीर तेरो तेमरू का सोंटा
बीर आदेसु आदेसु बीर तेरा खरवा की झोली
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरु नेपाली चिमटा
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरु बांगम्बरी आसण
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरी भांगला की कटोरी
वीर आदेसु आदेसु बीर तेरी संखन की छूक
वीर रुंड मुंड जोग्यों की बीर रुंड मुंड सभा
वीर रुंड मुंड जोग्यों बीर अखाड़ो लगेली
वीर रुंड मुंड जोग्युंक धुनी रमैला
कन चलैन बीर हरिद्वार नहेण
कना जान्दन वीर तैं कुम्भ नहेण
नौ सोंऊ जोग्यों चल्या सोल सोंऊ बैरागी
वीर एक एक जोगी की नौ नौ जोगणि
नौ सोंऊ जोगयाऊं बोडा पैलि कुम्भ हमन नयेण
कनि पड़ी जोग्यों मा बनसेढु की मार
बनसेढु की मार ह्वेगी हर की पैड़ी माग
बीर आदेसु आदेसु बीर आदेसु बीर आदेसु
-श्री मुकेश कुकरेती द्वारा वाट्सैप समूह 'कुकरेती भ्रातृ मण्डल' में प्रेषित, दिनांक 14.09.2017