माँ अक्षरा अमृतमयी, हिंदी तुझे शत-शत नमन,
स्वर और व्यंजन में निहित,तू ही प्रथम परिबोध है,
तेरे बिना संभव कहाँ,अनुभूतियों पर शोध है,
तू काल चिंतन की कला,तू शब्द है,तू ही सृजन
माँ अक्षरा अमृतमयी.....
रस,छंद,रूपक से बनी,तू शिल्प की अलकापुरी,
आरोह में,अवरोह में,तू ही भरी रस-गागरी,
अभिव्यक्ति से गुंजित हुई,सारी धरा,सारा गगन,
माँ अक्षरा अमृतमयी....
तू लक्षणा,अभिव्यंजना,अभिधा मधुर मृदुभाषिणी,
तू सूफियों की लाडली,तू उर्वशी,कामायनी,
साकेत,भारत-भारती, गोदान तू,तू ही गबन,
माँ अक्षरा अमृतमयी....
निर्गुण-सगुण के रूप में,तूने हरी मन की व्यथा,
तूने रचे साखी सबद,तूने रची मानस कथा,
सत्संग से तू ही बनी,पद, सोरठा,दोहा,भजन...
माँ अक्षरा अमृतमयी,हिंदी तुझे शत-शत नमन....
हिंदी दिवस की असीम शुभकामनाएं.
-श्री उमाशंकर कुकरेती द्वारा वाट्सैप समूह 'कुकरेती भ्रातृ मण्डल (पंजी)' में प्रेषित, दिनांक 14.09.2017
स्वर और व्यंजन में निहित,तू ही प्रथम परिबोध है,
तेरे बिना संभव कहाँ,अनुभूतियों पर शोध है,
तू काल चिंतन की कला,तू शब्द है,तू ही सृजन
माँ अक्षरा अमृतमयी.....
रस,छंद,रूपक से बनी,तू शिल्प की अलकापुरी,
आरोह में,अवरोह में,तू ही भरी रस-गागरी,
अभिव्यक्ति से गुंजित हुई,सारी धरा,सारा गगन,
माँ अक्षरा अमृतमयी....
तू लक्षणा,अभिव्यंजना,अभिधा मधुर मृदुभाषिणी,
तू सूफियों की लाडली,तू उर्वशी,कामायनी,
साकेत,भारत-भारती, गोदान तू,तू ही गबन,
माँ अक्षरा अमृतमयी....
निर्गुण-सगुण के रूप में,तूने हरी मन की व्यथा,
तूने रचे साखी सबद,तूने रची मानस कथा,
सत्संग से तू ही बनी,पद, सोरठा,दोहा,भजन...
माँ अक्षरा अमृतमयी,हिंदी तुझे शत-शत नमन....
हिंदी दिवस की असीम शुभकामनाएं.
-श्री उमाशंकर कुकरेती द्वारा वाट्सैप समूह 'कुकरेती भ्रातृ मण्डल (पंजी)' में प्रेषित, दिनांक 14.09.2017
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